चामुंडा देवी वशीकरण मंत्र
चामुंडा देवी वशीकरण मंत्र, हिंदू धार्मिक मान्यताओं और आस्था के अनुसार देवी की 51 शक्ति पीठों में एक शक्तिपीठ मां चामुंडा देवी की हैं। इस पीठ का देवभूमि हिमाचल प्रदेश में चामुंडा मंदिर बना हुआ है, जहां लोग दूर – दूर से जाते हैं और उनसे मन्नतें पूरी करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।
उन्हीं मन्नतों में एक वशीकरण का भी है। देवी चामुंडा के विशेष मंत्र से वशीकरण का प्रयोग सदियों से चला आ रहा है। दुर्गा सप्तशति के सप्तम अध्याय में वर्णित कथा के अनुसार चण्ड-मुण्ड नामक दो दैत्यों को अंत करने के लिए देवी ने काली का रूप धारण कर उन्हें वशीभूत कर दिया था।
अंत में काली द्वारा दोनों दैत्यों के सिर को धड़ से अलग कर बध कर दिया गया था। उसके बाद से वह चामुंडा देवी के नाम से पूजी जाने लगी। उनकी आराधना विभिन्न समास्याओं समाधान या सिद्धी के लिए निम्न मंत्रों के जाप से की जाती है। वे इस प्रकार हैंः-
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- ऊँ ऐं क्लीं चामुण्डायै विच्चे!!
- ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा!!
- ऊँ चामुण्डायै धन देही!
चामुंडा देवी वशीकरण की साधना उनकी शक्तिशाली साधनाओं में से एक है, जिसमें निम्नलिखित मंत्र विशेष स्थान रखता है। इस मंत्र प्रयोग से न केवल मनोवांछित प्रेमिका, बल्कि मित्र, शत्रु एवं प्रभावशाली व्यक्ति तक का वशीकरण किया जाता है। वह मंत्र हैः- ऊँ चामुण्डे जय जय वश्यकरि सर्व सत्वांन्नम स्वाहाः!!
वशीकरण अर्थात सम्मोहन यानी कि आकर्षण प्रयोग के विभिन्न मंत्रों में इसे देवी दुर्गा मंत्र के रूप में जाना जाता है। इसके सरल जाप और देवी की पूजा विशिष्ट और अचूक प्रभाव वाले होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ उपाय पूरी तरह से विशेष वैदिक या तांत्रिक अनुष्ठान के बाद किए जाते हैं।
इसके प्रभाव से बिगड़े स्वभाव, आचरण या अनियंत्रित दिल-दिमाग वाले व्यक्ति को ठिक किया जा सकता है, तो रूठी प्रेमिया या पत्नी के आकर्षण में आई कमी को खत्मकर उसका मान-मनव्वल भी किया जा सकता है।
यह कहें कि दांपत्य जीवन या प्रेमियों के प्रेम-संबंध में वैचारिक मतभेद को दूर कर फिर से नई मधुरता की भावना के साथ प्रेम की आतुरता विकसित की जा सकती है। अनैतिक राह पर भटका व्यक्ति चाहे कितना भी गलत संगत में क्यों न उलझ चुका हो, उन्हें सही राह पर लाया जा सकता है।
महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित मार्केण्डेय पुराण की धार्मिक पुस्तक दुर्गा सप्तशती में कामनापूर्ति के कुल 13 अध्यायों में आठवां अध्याय वशीकरण और मेलमिलाप के लिए है, जिनमंे वर्णित अचूक असर देने वाला मंत्र है-
ज्ञानिनापि चेतांसि, देवी भगवती ही सा, बलाद कृृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति!
चामंुडा वशीकरण साधना विधि
देवी चामुंडा के महत्वपूर्ण मंत्र को किसी विशेष शुभ दिन, जैसे ग्रहण काल, दीपावली, नवरात्र, होली आदि, को सिद्ध किया जाना चाहिए। वैसे इस मुहूर्त के बगैर भी किसी भी मंगलवार को इसकी शुरूआत कर 11 दिनों मंे पूर्ण किया जाना चाहिए। इसका सिलसिलेवार विधि-विधान निम्न तरह से सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए।
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- पूजन के लिए एक छोटी चैकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसपर देवी चामुंडा की या भगवती की तस्वीर रखें। देवी की आंख में झांकते हुए धूप, दीप, फल, लाल फूल, नवैद्य आदि से उनकी पूजा करें।
- उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें। कुमकुम मिश्रित अक्षत चढ़ाएं और साधना की सफलता के प्रार्थना करें।
- प्रतिदिन भोग के लिए दूध से बनी मिठाई या बेसन के लड्डू का उपयोग करें।
- तस्वीर के सामने ही अक्षत बिछाकर कलश की स्थापना करें। उसकी पूजा करें। इसके साथ ही भगवान गणेश की भी पूजन करें। एक दीपक में तिल और घी या तेल की ज्योति जलाएं।
- साधना के लिए इन कार्यों के पूर्ण होने पर रूद्राक्ष या मूंगे की माला से मंत्र का जाप आरंभ करें। इससे पहले लाल पुष्प, नारियल और कुमकुम मिश्रित अक्षत चढ़ाकर देवी भगवती का आशीर्वाद लें।
- मंत्र जाप की कुल संख्या 11000 है, जिसे साधना के 11 दिनों में बांट लें।
- साधना संपन्न होने के बाद पूजन सामग्री को चैकी पर बिछाए गए लाल कपड़े में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।
सिद्ध मंत्र का प्रयोग- इस तरह से आपके द्वारा मां चामुंडा के वशीकरण मंत्र के सिद्ध हो जाएगा। उसके बाद एक लाल फूल के साथ प्रायोग करें। उस पर तीन बार मंत्र को पढ़कर फूंक मारें और वशीकरण किए जाने वाले व्यक्ति को भेंट करें। वह तुरंत आपके वश में आ जाएगा।
इसका प्रयोग आज्ञा उल्लंघन करने वाले संतान के लिए किया जा सकता है। पति या पत्नी को वश में कर घरेलू कलह को दूर किया जा सकता है। प्रेमिका को मनाने और उसे वशीभूत करने लिए भी इस प्रयोग को आजमाया जा सकता है।
चामुंडा देवी वशीकरण चक्र
यह ऐस वशीकरण चक्र है, जिसका असर लंबे समय तक बना रहता है और इसे विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। किसी शुभ मुहूर्त, नवरात्री या फिर शनिवार की रात दस बजे का समय चुनें। साफ वस्त पहनकर लाल या काले आसन का प्रयोग करें।
अपने सामने चैकी पर लाल कपड़े बिछाएं और वहां मां चामुंडा का एक तस्वीर स्थापित करें। इसके सामने सिंदूर और जला मिलाकर उससे एक चैड़े प्लेट में छह कोण वाला सितारा बनाएं। उसके बीच में बिंदी लगाकर उसपर सियार सिंगी की नर-मादा जोड़ी को रख दें।
इसी तरह का सितारा सामने जमीन पर भी बनाएं और उसके बीच बिंदी लगाकर एक लोटा जल रखें। लोटे के ऊपर तिल के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में दो लौंग भी डालें। गुग्गल या चमेली की धूप जलाएं।
देवी की तस्वीर पर जल का छींटा दें और उसपर गोरोचन से तिलक करें। तिल और अक्षत अर्पित करें। चमेली या केवड़ा का इत्र छिड़कें या लगाएं और फूल के साथ-साथ केसर की बर्फी चढ़ाएं।
इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद जिस किसी को वश में करना है उसकी तस्वीर सिंगी सियार पास रखें। सिंगी सियार जोड़े का भी विधिवत पूजन करें। हाथ में दो इलायची लेकर देवी से अपनी मनोकामना पूर्ण होने के लिए व्यक्ति का नाम लेकर विनती करें। इलायची को सियार सिंगी पर चढ़ा दें।
उसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का पांच माला जाप करें। इस साधना को कम से कम पांच दिन और अधिक से अधिक 21 दिनों तक करना चाहिए। जाप का मंत्र इस प्रकार हैः-
ऊँ भगवतो रुद्राणी चमुंडानी घोराणी सर्व पुरुष क्षोभणी सर्व शत्रु विद्रावणी,
ऊँ आं क्रौम ह्रीं जों ह्रीं मोहय मोहय क्षोभय क्षोभय…. मम वशी कुरुं वशी कुरुं क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं स्वाहा!!
साधना के पूर्ण होने के बाद पूजन की इलायची और लौंग को पीसरकर रख लें। व्यक्ति से मुलाकात होने पर मन में मंत्र का जाप करते हुए उस चूर्ण को उसपर छिड़क दें।